मीडिया को जाति और समुदाय आधारित कवरेज से बचना चाहिए : वाईस प्रेसिडेंट वैंकेया नायडू

भारत के वाईस प्रेसिडेंट एम. वैंकेया नायडू ने सार्वजनिक जीवन में जाति और धन की बढ़ती भूमिका पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया को विशेषकर चुनावों के दौरान जाति और समुदाय आधारित कवरेज से बचना चाहिए । जाति आधारित कवरेज से समाज पर गलत असर पड़ने की पूरी संभावना होती है ।

डॉ. भीम राव अंबेडकर सभागार में शिक्षा, उद्यमिता और नैतिकता विषय पर डॉ. राजाराम जयपुरिया स्मृति व्याख्यान देते हुए वाईस प्रेसिडेंट एम. वैंकेया नायडू ने घोर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने ये बाते कही ।

वाईस प्रेसिडेंट ने कहा कि लोगों को चार-सी – चरित्र सामर्थ्य, क्षमता और आचरण – के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए। कुछ लोग उक्त चार-सी के स्थान पर अन्य चार-सी – जाति, धन अपराध और समुदाय को अधिक महत्व देते हैं।

नायडू ने मीडिया द्वारा प्रत्येक चुनाव क्षेत्र के जातिगत आंकड़ों पर ध्यान देने के उद्देश्य पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया को संसद तथा विधानसभा में जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए। नायडू ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाया जा सकता है। सभी निजी संस्थानों को कौशल विकास केन्द्रों का संचालन करना चाहिए। तकनीकी संस्थानों को उद्योग जगत के साथ मिलकर उनकी जरूरतों को समझना चाहिए और छात्रों को इससे अवगत कराना चाहिए।

सार्वजनिक जीवन में गिरते मूल्यों पर खेद व्यक्त करते हुए नायडू ने कहा कि नेतागण द्वारा पार्टी छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पार्टी बदलना एक फैशन बन गया है। नेतागण लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं। वाईस प्रेसिडेंट ने आगे कहा कि चीन, अमेरिका, यूरोप और जापान की तुलना में भारत एक युवा देश है। युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर हम वैश्विक प्रशिक्षित कार्यबल की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। समय आ गया है कि भारत अपने को ज्ञान और नवोन्मेष हब के रूप में स्थापित करे। भारत आने वाले 10-15 वर्षों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। गैर-संक्रामक रोग से पीड़ितों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें जंक फूड नहीं खाना चाहिए और एक संतुलित और पारंपरिक भोजन करना चाहिए।