जानिये क्या है भानगढ़ की डरावनी कहानी

राजस्थान के अलवर में स्थित भानगढ़ के महल को भूतिया महल के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि 17वीं शताब्दी मैं निर्मित यह दुर्ग कभी बहुत ही फलता फूलता रहा करता था। परन्तु किसी काले जादू और तांत्रिकों के श्राप के कारण महल की राजकुमारी सहित सारा राज्य मौत के घाट उतर गया था। अथार्त अब भानगढ़ का महल भूतिया महल या भूतों का भानगढ़ के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं भानगढ़ के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने भी अपना कार्यलय भानगढ़ से दूर ही बनवाया है। इस महल के भूतिया होने के पीछे की कहानी भानगढ़ की राजकुमारी से शुरू होती है।

माना जाता है की भानगढ़ की राजकुमारी रत्नादेवी बहुत ही खूबसूरत थी और उनके रूप की चर्चा सारे राज्यों में थी। जब वह केवल 18 वर्ष की थी तब कई राज्यों के राजा उनसे विवाह रचाने के लिए इच्छुक थे और उनके लिए विवाह का प्रस्ताव भी ले कर आए थे।

एक दिन राजकुमारी रत्नादेवी किले से बाहर अपनी सखियों के साथ निकली। वहां राजकुमारी रत्नावती एक दुकान में खुशबूदार इत्र खरीदने रुकी। वहां दूर खड़ा सिंधु सेवड़ा नामक व्यक्ति उन्हें गौर से देख रहा था। माना जाता है कि सिंधु सेवड़ा काला जादू जानता था और वह राजकुमारी के रूप का दीवाना हो गया था। वह राजकुमारी से बहुत प्रेम करने लगा था और वह किसी भी स्थिति में राजकुमारी को पाना चाहता था। फिर उसने अपने काले जादू का प्रयोग उस इत्र पर कर दिया जिसे वह राजकुमारी पसंद कर रही थी और राजकुमारी पर वशीकरण करना चाहा। परन्तु किसी राजकुमारी के शुभचिंतक ने यह राजकुमारी को बता दिया। राजकुमारी को जब इस बात का ज्ञान हुआ तब उन्हों ने उस इत्र की बोतल को उठा कर एक पत्थर पर पटक दिया। इत्र की बोतल टूट गई और सारा इत्र पत्थर पर बिखर गया। उसके बाद जो हुआ वो आश्चर्यजनक था जिस पत्थर पर वह इत्र बिखरा था वही पत्थर ने खुद ही जाकर उस तांत्रिक को कुचल डाला। इतना ही नहीं मरने से पहले उस तांत्रिक ने श्राप दिया कि जल्द ही उस महल में रहने वाले सभी लोग मर जाएंगे और उस तांत्रिक की आत्मा हमेशा उस महल में भटकती रहेगी। राजकुमारी रत्नावती की भी उस श्राप के कारण मौत हो गई। अथार्त आज तक भी उस किले में तांत्रिक तथा नर्तकियों की आत्मा भटकती है और कई जानों को अपना शिकार बनाती है।