जानिए कौन से भारतीय आचार्य थे विश्व के पहले शल्य चिकित्सक

दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र भारत का ही डंका बोलता है, जिसके पीछे है इतिहास के कुछ महान चिकित्सक व उनके कठिन प्रयास| उन्हीं में  से एक चिकित्सक से आपको अवगत करवाने जा रहे हैं :-

विश्व के पहले शल्य चिकित्सक होने की उपाधि आचार्य सुश्रुत को प्राप्त है| उनको शल्य चिकित्सा का जनक भी कहा जाता है| इनका जन्म कुछ हजारों साल पहले भारत के काशी में हुआ था| उनके पिता जी का नाम ऋषि विश्वामित्र था| सुश्रुत के गुरु काशी के राजा दिवोदास थे उनसे उन्हों ने शल्य यंत्र और दवाइयों की कला का उपदेश प्राप्त किया था|

वास्तव में विश्व में चिकित्सा का व्यवसाय दो प्राचीन ग्रंथों पर आधारित रहा है| एक है सुश्रुत की सुश्रुत सहिंता और दूसरी है चरक की चरक सहिंता|

सुश्रुत सहिंता

सुश्रुत सहिंता में शस्त्र क्रियायों के लिए आवश्यक यंत्रों तथा उपकरणों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है| शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग किया करते थे| यह विशेष उपकरण शल्य चिकित्सा में आ रही जटिलता को दूर करने के लिए खोजे गए थे| इन उपकरणों में एक विशिष्ट आकार के चाकू, सुइयाँ, चिमटियां आदि शामिल हैं| इनके अतिरिक्त शरीर के प्रत्येक अंग की शस्र क्रिया के लिए बीस प्रकार के उपकरणों का भी वर्णन किया गया है|

आचार्य ने इस बात पर भी काफी ध्यान केंद्रित किया है कि उपकरण इतने तीखे होने चाहिए कि जिससे बाल को भी दो टुकड़ों में काटा जा सके|

शल्य क्रिया

सुश्रुत को शरीर के एक एक अंग की भरपूर जानकारी प्राप्त थी| शल्य क्रिया के दौरान मरीज को होने वाले दर्द को कम करने के लिए मद्यपान या विशेष औषधियां दिया करते थे| जिसके सेवन से मरीज का पहले की अपेक्षा दर्द कम हो जाता था|

आचार्य सुश्रुत

सुश्रुत शल्य चिकित्सक होने के साथ साथ एक आचार्य भी थे| उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धान्तों की जानकारियां दी साथ ही उनसे शल्य क्रिया का अभ्यास भी कराया| शल्य अभ्यास के लिए वह अपने शिष्यों को शुरुआत में फल, सब्जियों और मोम के बने पुतलों  पर शल्य क्रिया करवाते थे|

मानव शरीर कीअंदरुनी जानकारी देने के लिए सुश्रुत शवों का इस्तेमाल करते थे, वह शव के ऊपर शल्य क्रिया कर के अपने शिष्यों को जरूरत की सभी जानकारियां देते थे| सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल प्राप्त किया हुआ था साथ ही वह अपना ज्ञान सबको दिया करते थे|

सुश्रुत द्वारा अन्य बीमारियों के इलाज

सुश्रुत को यूँही नहीं चिकित्सा का जनक कहा जाता उन्हें शल्य क्रिया के साथ शरीर की अन्य खतरनाक बीमारियों के इलाज की भी जानकारी थी| सुश्रुत को शरीर में टूटी हुई हड्डी के पता लगाने और उसे जोड़ने में विशेषज्ञता प्राप्त थी| सुश्रुत आँखों के शल्य चिकित्सा भी किया करते थे साथ ही उन्हें शरीर में मोटापे और बढ़ते घटते मधुमेह को नियंत्रण करने की भी जानकारी हासिल थी|

लेखक – चेतन मित्तल

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