समय यात्रा की कहानी क्या है जाने हिन्दू पौराणिक कथाओं से

समय यात्रा और समय मशीनें पिछले कुछ दशकों से विज्ञान और फिल्मों का एक विषय रही हैं| पर यह विषय पूर्ण रूप से परिकल्पना से जुड़ा हुआ है| आधुनिक युग के चलते मनुष्य हमेशा से ही समय सीमा को लाँघने का सोच विचार करता रहा है मानव की हमेशा कोशिश रही है कि वह भूत काल और भविष्य काल में जा सके पर वह हमेशा इसकी परिकल्पना ही कर पाया है लेकिन हिन्दू धर्म की कुछ पौराणिक कथाओं में ऐसे अनेक वर्णन मिलते हैं जिनमें साधु संत अपना ध्यान केंद्रित कर के पल में ही अतीत और भविष्य देख लिया करते थे| विज्ञान अनुसार यह आज के मानव की सिर्फ एक कल्पना ही हो सकती है|

पौराणिक कथा क्या है?

एक कथा के अनुसार धरती पर रेवत नामक राजा थे | उन्हें अपनी पुत्री रेवती के विवाह के लिए योग्य वर की तालाश थी|इस ही कामना के साथ उन्होंने अपनी पुत्री के साथ ब्रम्ह्लोक की और प्रस्थान किया|पर जब वे वापिस धरती पर आये इतने में 108 युग बीत चुके थे|ज्ञातव्य है की एक युग चार मिलियन वर्षों को दर्शाता है| राजा रेवत इस बात से अनजान थे कि वे इतना समय किसी अन्य लोक पर बिताकर आये हैं व जिन वरों की तलाश में वे ब्रम्ह्लोक गये थे उनके पुत्र-पौत्र भी अब जिन्दा नहीं हैं| सुनने में यह कहानी केवल कल्पनाओं से रची हुई लगती है क्योंकि कोई व्यक्ति इतने युगों तक कैसे जीवित रह सकता है| पर पौराणिक कथाओं में ऐसे अन्य ऋषि मुनियों का जिक्र किया गया है जो अपनी मर्जी से सृष्टि के नियम को चुनौती देकर किसी भी लोक में चले जाया करते थे और टाइम ट्रेवल कर के अपने स्थान पर वापिस भी आ जाते थे|

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लेखक और विज्ञान द्वारा निष्कर्ष

टाइम ट्रेवल के विषय में बहुत ही बुद्धिजीवी लोगों ने सोच विचार किये हैं पर उनके द्वारा जो निष्कर्ष सामने आये हैं वह केवल कल्पना पर ही केंद्रित करते हैं| इसी विषय पर इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध लेखक ने एक उपन्यास भी लिखा था जिसका नाम था “द टाइम मशीन” इस उपन्यास में केवल टाइम मशीन की अद्भुत कल्पना को दर्शाया गया था|

एक महान वैज्ञानिक जिनका नाम आइंस्टीन है उन्हों ने इस विषय पर कहा है कि समय की धारणा विभिन्न रूप से देखी जा सकती है| आइंस्टीन अनुसार किसी दो घटनाओं के बीच में मापा गया समय इस बात पर निर्भर करता है कि उसे देखने वाला किस गति से जा रहा है| आप इसे एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं कल्पना करें की दो भाई जो कि जुड़वाँ हैं उन्हों ने किसी दूसरे लोक पर जाना है उन दोनों में से एक भाई धरती से अंतरिक्ष पर जाता है परन्तु जब वह वापिस आता है तो उसे  ऐसा प्रतीत होता है कि उसे केवल एक साल लगा पर वास्तव में उसे धरती के हिसाब से 10 वर्ष का समय लगा है|

अंत में आज जितनी भी आधुनिकता बेशक बढ़ गयी हो पर यह विषय एक परिकल्पना ही रहेगा व हिन्दू पौराणिक कथाओं को भी एक कल्पना के नजरिये से ही माना जायेगा|

लेखक – चेतन मित्तल

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