श्रीमद्भगवत गीता का सार, जीवन के ज्ञान का भंडार भाग – 2

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हमने “श्रीमद्भगवत गीता का सार, जीवन के ज्ञान का भंडार भाग – 1” के माध्यम से इस पूजनीय ग्रंथ में बसे सरल ज्ञान को आप तक पहुँचाया| हमारा यह पृष्ठ उस ही लेख का दूसरा संस्करण है जिसमें हम इस पूजनीय ग्रन्थ में उल्लेखित अन्य ५ बहुमूल्य सूत्र आपके साथ साझा करेंगे|

श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय है और 700 श्लोक हैं| इनमें जो बातें कृष्ण जी द्वारा कही गयी हैं, वह सुख, शांति, और समृद्धि पूर्ण जीवन बनाने के मूल मंत्र हैं| आइए जानते हैं जीवन को सुलभ बनाने वाली 5 बातें जो कुछ इस प्रकार हैं:-

1. आत्मविश्वास बेहद जरूरी

गीता में कृष्ण जी ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे| उन उप देशों में बताया गया था कि व्यक्ति में आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है| आत्मविश्वास की सहायता सीही इंसान आधी बाज़ी जीत लेने में सफल हो जाता है|

2. धैर्य का होना महत्वपूर्ण

गीता अनुसार मनुष्य अपने जीवन में अनेक प्रयासों के चलते अपना काम करता है और उस काम के प्रति परिणाम की प्राप्ति भी तुरंत चाहता है| पर धैर्य के बिना जो निष्कर्ष निकलता है वह अज्ञानी होने का सकेंत देता है| इसलिए गीता सिखाती है की इंसान के जीवन में धैर्य का होना बहुत महत्वपूर्ण है|

3. शिष्टाचार और सदाचार

गीता में कृष्ण जी कहते हैं कि मनुष्य को अपना जीवन शिष्टाचार और सदाचारी रूप से जीना आना चाहिए| यह एक गुणी इंसान की पहचान है|

4. तनाव मुक्त जीवन जीना जरूरी

भगवान कहते क्यों चिंता करते हो, किस बात का डर सता रहा है| जितना जीवन इस पृथ्वी पर गुज़ार रहे हो मुस्करा कर, तनाव को दूर रख कर गुज़ारो केवल कर्म करो| यह शरीर एक दिन पृथ्वी के पांच तत्वों में जल, वायु, अग्नि, पानी और गगन इन्ही में मिल जायेगा | गीता इंसान को तनाव मुक्त जीवन जीना सिखाती है| 

5. मृत्यु जीवन का परिवर्तन

गीता अनुसार परिवर्तन ही संसार का नियम है| जिसे इंसान मृत्यु समझता है| इसको इंसान को अपनाना चाहिए|ना कि किसी कोअपशब्द कह कर अपना और उसका मन दुखाना चाहिए| गीता अनुसार इंसान को संसार के परिवर्तन को अपनाना चाहिए|

लेखक – चेतन मित्तल

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