पढ़िए देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा से सम्बंधित ये किस्सा

भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के पुत्र थे। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को ही देव शिल्पी के नाम से जाना जाता है। कई भूखंड महलों और पौराणिक रचनाएं इन्हों ने की और यह सभी देवताओं के शिल्पी माने जाते हैं। भगवान विश्वकर्मा या देवशिल्पी ने कई रचनाएं की जैसे कि देवी देवताओं के कई अस्त्र शास्त्र का निर्माण भी इन्हीं द्वारा किया गया था। स्वर्ग के अधिपति देवराज इंद्र के लिए भी महा शक्तिशाली वज्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। स्वर्ग लोक से लेकर भगवान श्री कृष्ण के द्वारकाधीश तक के रचयिता भगवान विश्वकर्मा ही हैं।

चारों युगों में की है रचनाएं

ब्रह्मा जी के पुत्र विश्वकर्मा ने चारों युगों में रचनायें की हैं। सतयुग में ‘स्वर्गलोक’, त्रेता युग में ‘लंका’, द्वापर युग में ‘द्वारिका’ तथा कल युग में ‘हस्तिनापुर’ की रचनाएं भगवान विश्वकर्मा ने ही की हैं।

पार्वती की इच्छा पर स्वर्ण लंका का निर्माण किया

कैलाश पर्वत पर एक बार देवी लक्ष्मी जी ने माता पार्वती के हिमघर को देख कर उन्हें व्यंग कस दिया था। तब पार्वती माता के मन में लालसा हुई और उन्होंने भगवान शंकर से विनती करके एक भव्य महल का निर्माण करवाने की इच्छा जताई थी। तब भगवान शंकर जी ने विश्वकर्मा से महल की स्थापना करवाई थी। यह महल सोने से बनवाया गया था जो कि लंका में स्थित था। इस महल की स्थापना के बाद भगवान शंकर और माता पार्वती ने सभी देवी देवताओं को अपने महल पर आमंत्रित किया। विश्रवा नामक महर्षि ने उस नगर की वस्तुप्रतिष्ठा की और भगवान शंकर से वह नगरी दान में मांगी। बस फिर क्या था भोले बाबा ने वह नगरी उन्हें दान में दे दी। इस तरह अपने सपनों के महल को दान में जाता देख माँ पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने महर्षि विश्रवा को श्राप दे दिया कि एक दिन यह नगरी आग की लपटों में भस्म हो जाएगी माता पार्वती के इसी श्राप का परिणाम था कि बाद में पवन पुत्र हनुमान जी ने इस श्राप को पूर्ण किया था।

विश्वकर्मा दिवस

भगवान विश्वकर्मा जी को सबसे पहला वास्तुकार और वास्तुशास्त्र का जनक भी माना जाता है। इनका पूजन दिवस हर वर्ष की सितम्बर 16 और 17 को देश भर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन औद्योगिक जगत, मशीनरी, आदि की पूजा कर के विश्वकर्मा जी से मंगल कामनाएं मांगी जाती हैं। भारत में इस उत्स्व के दिन सभी कारखाने और मशीन बंद रखे जाते हैं साथ ही कई जगह भगवान विश्वकर्मा की भव्य मूर्ती स्थापित की जाती है और उनकी आराधना कर के मशीनरी द्वारा अच्छे उत्पादन की विनती मांगी जाती है क्योंकि यह निर्माण और सृजन के देवता है।

लेखक – चेतन मित्तल

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