पढिए सतपुड़ा पर्वतश्रेणी और उसकी विशेषता के बारे में

Image Courtesy Instagram

सतपुड़ा को भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला के रूप में भी जाना जाता है। जो घूमने के लिए और अपने सौन्दर्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा और ताप्ती की दरार घाटियों के बीत में मौजूद महादेव पहाड़ी, राजपीपला पहाड़ी और मैकाल श्रेणी के रूप में भी पश्चिम से पूर्व की तरफ विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। सतपुड़ा की इस पर्वतश्रेणी को ब्लाक पर्वत भी कहा जाता है और ये मुख्यत: ग्रेनाइट और बेसाल्ट चट्टानों से बनाया गया है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है।

अब अगर इस पर्वतश्रेणी की चोटियों की बात करे तो इसकी ऊंचाई करीब 1200 मीटर है और इनमें पश्चिम में मौजूद राजपिपला पहाड़ियां, उत्तर में मौजूद महादेव पहाड़ियां और पूर्व में स्थित मैकाल पहाड़यों को भी शामिल किया गया है। इसका मतलब ये है कि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं कमजोर है। इसके दक्षिण-पूर्वी इलाके में मैंगनीज और कोयले के भंडार भी देखने को मिलते है। लेकिन ये पर्वतश्रेणी पूरी तरह से घने जंगलों से घिरी हुई है और इसके जंगल के अगर पश्चिम में आप जाएंगे तो वहां आपको कीमती सागौन के पेड़ भी देखने को मिलेंगे। महादेव पहाड़ियों के ऊपर मौजूद वैनगंगा और पेंछ घाटियों में थोड़ी-बहुत खेती भी होती है और ऊपर की पहाड़ियों पर गोंड जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं।

सतपुड़ा नाम संस्कृत के शब्द शतापुरा से लिया गया है जिसे देवनागरी में शतपुरा कहा जाता है। इसका मतलब होता है “सौ पर्वत”। सतपुड़ा में ही राष्ट्रीय अभयारण्य भी मौजूद है जिसे सतपुड़ा राष्ट्रीय आभयारण्य के नाम से जाना जाता है। ये मध्यप्रदेश के हौशंगाबाद में स्थित है। इसके पास में ही एक और शहर है जिसका नाम पंचमढ़ी है और पंचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी के रूप में भी जाना जाता है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है और इस वजह से यहां जैव विविधता भी भारी मात्रा में मौजूद है। यहां जानवरों में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग और भारतीय विशाल गिलहरी आदि देखे जाते है। यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां देखने को मिलती है जिनमें धनेश और मोर प्रमुख हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंगा और बाघ को लाकर यहां छोड़ा जाता है।

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे अच्छे टाइगर रिजर्वों में से एक है और 2010 में इसे मोस्ट वीजिटर फ्रेंडली टूरिज्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। अगर पर्यटकों को थोड़ा आनंद चाहिए तो वो यहां घूमने आ सकते है। एमपी पर्यटन के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए साइकिल टूरिज्म का आयोजन भी 2017 में किया जा चुका है। इसकी मदद से पर्यटक 4 दिनों तक सतपुड़ा की वादियों का आनंद लेते है। एमपी टूरिज्म बोर्ड की तरफ से ये पहल की गई थी जिसके तहत चार दिवसीय 400 किलोमीटर ‘टूर दी सतपुड़ा’ साइकिल टूरिज्म का आयोजन किया जा चुका है और ऐसे ही पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए नई-नई चीजों का आयोजन किया जाता है। यहां पर आपको खूबसूरत वादियां, पहाड़, पर्वत और ढेर सारे जीव दिखाई देंगे, जिनसे आपका मन भी बिलकुल प्रसन्न हो जाएगा। 1 साल में कई लोग यहां भ्रमण करने आते है और सतपुड़ा के बारे में सभी अच्छी राय लोगों से सुनने को मिलती है और ऐसा भी कहा जाता है कि पर्यटन स्थलों में सतपुड़ा का मुकाबला नहीं किया जा सकता। क्योंकि ये पहाड़ों और जंगलों से पूरा घिरा हुआ है और माना जाता है कि यहां शिव भक्ति भी काफी की जाती है।