जानिये पचमढ़ी में बसे नागद्वार के बारे में

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क्या है नागद्वार

भारत के दिल में बसे मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है पर्यटन के लिए मशहूर पचमढ़ी। यहीं स्थित है धार्मिक स्थल नागद्वार जिसे लोग स्वर्गद्वार के नाम से भी जानते हैं। इसके अविस्मित सौंदर्य के अलावा लाखों लोगों की इससे ढेर सारी आस्थाएं भी जुडी हैं । इस जगह की खूबसूरती को देख कर ही ऐसा लगने लगता है कि जैसे प्रकृति ने अपनी सारी सुंदरता इसी जगह पर बिखेर दी हो। इसी सुंदर और मन लुभाने वाले सौंदर्य के बीच में नागद्वार स्थित है।

कहा बसा है नागद्वार

नागद्वार के बारे में अगर बात करे तो नागद्वार सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच बसा हुआ है। कहा जाता है कि ये एक ऐसा रास्ता है जो सीधा नागलोग की तरफ जाता है। अगर कोई भक्त अपनी भक्ती के साथ इस दरवाजे तक जाता है तो उन्हें खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई करनी पड़ती है और साथ ही साथ बारिश में भीगे घने जंगलों की खाक भी छानना पड़ता है। इतनी सब मुसीबतें पार करने के बाद आप इस नागद्वार तक पहुंचते है। कहा जाता है कि ये जगह मप्र के एकमात्र हिल स्टेशन की पचमढ़ी के जंगलों में मौजूद है। नागद्वारी के अंदर एक चिंतामणि की गुफा भी उपस्थित है, जो 100 फीट लंबी है और इसी गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां भी देखने को मिलती है।

मान्यता

लोगों की और भक्तों की ऐसी मान्यता है कि जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ नागद्वार प्रस्थान करते है, उनकी मांगी हुई सभी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है और ये ही भावना लेकर, अपनी झोली भरने के लिए लोग यहां आते है। नागद्वार के मंदिर की गुफा ही कम से कम 35 फीट लंबी है। इसके साथ ही लोगों का ऐसा भी मानना है कि पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वार तक की कठिन यात्रा को पूरा करने से कालसर्प दोष भी दूर हो जाता है। नागद्वार में गोविंदगिरी पहाड़ी भी मौजूद है और इसमें मौजूद मुख्य गुफा में शिवलिंग का काजल लगाने से भी आपके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्रावण मास में होने वाली नागद्वार यात्रा

सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित नागद्वार और इस पावन स्थल की यात्रा श्रावण मास में की जाती है। यहां लाखों की तादाद में लोग सिर्फ नागराज के दर्शन करने आते हैं। खबरों में ऐसा हमेशा से बताया जाता है कि नागद्वार की यात्रा जितने मध्यप्रदेश के लोग नहीं करते उससे कई ज्यादा भक्त तो मध्यप्रदेश की सीमा से लगे हुए महाराष्ट्र के कई जिलों के लोग जाते है। यहां पर सुबह से ही श्रद्धालु नाग देवता के सच्चे दिल से दर्शन करने के लिए निकलते है। बताया जाता है कि 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी करके लौटने में ही भक्तों को दो दिन का समय लग जाता है। नागद्वार की यात्रा करते समय आपको रास्ते में कई जहरीले सांपों का भी सामना करना पड़ेगा, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं करते।

आपको बता दें कि अगर आप एक धैयर्वान और साहसी इंसान है या फिर आपको दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ने और उतरने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है तो आप यहां पर आकर नागराज की दुनिया के दर्शन कर ही सकते हैं। लोगों की तरफ से ऐसा कहा जाता है कि ये कोई किवंदती या इतिहास नहीं है बल्कि ये सब बिलकुल सच है। जिले से 160 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की पहाड़ियां हैं। इन्ही पहाड़ियों पर नाग गुफा भी मौजूद है। पहाड़ियों के होने की वजह से ये यात्रा काफी खतरनाक बन जाती है। यहां के घने जंगलों और खतरनाक पहाड़ियों के बीच से होकर जाना और नागद्वारी तक पहुंचना इतना आसान नहीं है। यहां आपको सचेत रहने की जरूरत होती है।

लेखक – रोहित सिंह पटवाल


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