इतिहास की अमर प्रेम गाथा – रानी रूपमती और सुल्तान बाज़ बहादुर

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आपने आज तक कई प्रेम कहानियां सुनी होगी, आज हम आपको बताने वाले है अतीत की एक ऐसी प्रेम कहानी केबारे में जिसने इतिहास को एक नया मोड़ दिया। रानी रूपमती और सुल्तान बाज़ बहादुर की प्रेम कहानी जग के इतिहास में बहुत प्रसिद्ध है। विंध्याचल पर्वत पर बसी हुई मांडू पहाड़ी पर आज भी रानी रुपमती और बाज़ बहादुर के प्रेम सुर गूंजते है। इस प्रेम कहानी की खास बात है कि ये प्रेम कहानी युद्ध, प्रेम, संगीत और कविता का एक अद्भुत संबंध है। रूपमती मालवा की एक गायिका के रूप में काम करते थे और बाज़ बहादुर उनसे प्यार करते थे। बाज़ बहादुर के साथ उनका अंतर्धार्मिक विवाह हुआ था। 

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इतिहास के मुताबिक बाज बहादुर मांडू के अंतिम स्वतंत्र अफ़ग़ान शासक थे। वे रूपमती के गायन के साथ-साथ उनके अद्भुत सौंदर्य से भी आकर्षित थे । कहा जाता है की रानी के अप्रतिम सौंदर्य की वजह से ही बाज़ बहादुर के कई दुश्मन पैदा हो गए थे । इस सन्दर्भ में अनेकानेक कहानियां प्रचलित हैं कहीं कहा गया की मुग़लिया बादशाह अकबर रानी रूपमती के सौंदर्य से मोहित हो कर उन्हें पाना चाहते थे वहीँ दूसरी और ये भी कहा जाता है की अकबर के सिपहसालार आदम खान रानी रूपमती को पाना चाहते थे । बहरहाल इतिहास की इस गुत्थी को तो समझा नहीं जा सकता पर आम राय के अनुसार मुग़लिया शासन और मालवा के बीच रिश्ते लगातार खराब हो रहे थे ।

देखते-देखते कुछ ही समय में युद्ध की पृष्ठ भूमि तैयार हो चुकी थी । एक तरफ थे सुल्तान बाज़ बहादुर और दूसरी तरफ थे मुग़लों का प्रतिनिधित्व कर रहे आदम खान । बाज़ बहादुर ने भी अपनी एक छोटी सेना के साथ ही मुकाबला किया पर अंततः अपनी पराजय सामने देख, सुल्तान बाज़ बहादुर को विकल्प के तौर पर खनडेश भागना पड़ा । जैसे ही इस बात की खबर रानी रूपमती तक पहुंची की आदम खान उन्हें लेने के लिए आ रहे हैं, उन्होंने विष पीकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। 

कहा जाता है की साल 1568 में सारंगपुर के पास ही बाज़ बहादुर के मकबरे का निर्माण करवाया गया जिस पर ‘आशिक-ए-सादिक’ और रानी रूपमती की समाधि पर ‘शहीद-ए-वफा’ लिखवाया। ये थी वो प्रेम कहानी जो अधूरी रह गई लेकिन अमर हो गई। आज भी इतिहास में ये कहानी अमर है।

लेखक – रोहित सिंह पटवाल

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